श्रीश डोभाल (Shreesh Dobhal)
(माताः श्रीमती विद्यावती डोभाल, पिताः स्व. सतीश चन्द्र डोभाल)
जन्मतिथि : 12 अगस्त 1959
जन्म स्थान : ऋषिकेश
पैतृक गाँव : डोभ (इडवालस्यूं) जिला : पौड़ी गढ़वाल
वैवाहिक स्थिति : अविवाहित
शिक्षा : प्राथमिक शिक्षा- (टिहरी गढ़वाल)
हाईस्कूल- साधूराम इंटर कालेज, देहरादून
इंटर- गांधी इंटर कालेज, देहरादून
बी.एससी.- डी.बी.एस. कालेज, देहरादून
पी.जी. डिप्लोमा इन ड्रामेटिक्स- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में जाने से पूर्व जोशीमठ (चमोली) में और बाद में उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों में रंगमंचीय गतिविधियों में सक्रियता लाना।
प्रमुख उपलब्धियां : रंगमंच की शुरुआत देहरादून से की; उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों में रंगमंच को रंगशालाओं के माध्यम से गति देने का प्रयास। ‘शैलनट’ नाट्य संस्था की आठ नगरों- उत्तरकाशी, कोटद्वार, टिहरी, गोपेश्वर, श्रीनगर, देहरादून, हल्द्वानी, रामनगर- में स्थापना; 2001 तक 60 से अधिक नाटकों का निर्देशन तथा 40 से अधिक नाटकों में अभिनय; पांच विदेशी नाटकों का हिन्दी में अनुवाद; लगभग 20 धारावाहिकों व टेलीफिल्मों में अभिनय तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त तीन फीचर फिल्मों में अभिनय; भारत में आयोजित 23 अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भाग लिया; हिमालय की सांस्कृतिक विरासत पर कुछ डाक्यूमेंटरी फिल्मों का निर्माण तथा निर्देशन; उत्तराखण्ड व दिल्ली के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, कर्नाटक, उ. प्र., गोवा आदि राज्यों में रंगकर्म कार्यशालाएँ तथा निर्देशन; फिल्म कला व तकनीक पर कार्यशालाओं में कक्षायें। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में विजिटिंग एक्सपर्ट। अनेक संस्थाओं के सहयोग से उत्तराखण्ड की ‘सांस्कृतिक नीति’ का प्रारूप तैयार करके प्रदेश सरकार को प्रस्तुत किया। मानव संसाधन मंत्रालय, सांस्कृतिक विभाग की प्रतिष्ठित सीनियर फेलोशिप प्राप्त की, जिसके अंतर्गत ‘विकलांगों के साथ रंचमंच: संभावनाएं व योगदान’ विषय पर कार्य; ‘रंगमंच में उल्लेखनीय योगदान’ के लिए अखिल भारतीय गढ़वाल सभा द्वारा सम्मानित; 2001 में ‘लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल सम्मान’ मिला।
युवाओं के नाम संदेशः अपने जीवन व समाज में मानवीय व नैतिक मूल्यों को प्रमुखता दें; उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत को यथोचित महत्व देते हुए इसके संवर्धन हेतु प्रयत्नशील रहें; भौतिकतावाद व बाजारवाद को अच्छी तरह समझें और इसे स्वयं और अपने समाज पर हावी न होने दें।
विशेषज्ञता : रंगमंच, फिल्म, नाट्य प्रशिक्षण।
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।
Hari Datt Bhatt Shailesh ka nidhan ho chuka hai.
Uttarakhand ki pratibhayein ko update karne ki demand hai.
Uttarakhand mein ek garhwali aur kumaoni sanskritik sahityik museum ki demand hai.
Budakoti